जानिए mRNA vaccine को जिसने कोविड के दौरान करोड़ों लोगों की जान बचाई

जानिए mRNA vaccine को जिसने कोविड के दौरान करोड़ों लोगों की जान बचाई

आईसीटी पोस्ट हेल्थ टीम
क्या आप जानते हैं कि दुनिया भर में कोविड के दौरान करोडों लोगों की जान बचाने वाली वैक्सीन mRNA तकनीक पर आधारित थी. इसी वजह से साल 2023 में मेडिसिन के लिए नोबेल पुरस्कार कैटलिन कारिको और ड्रू वीसमैन को दिया गया. उन्होंने ऐसी तकनीक विकसित की थी जिससे एमआरएनए कोविड वैक्सीन का विकास संभव हो सका था. आइए इस पूरी तकनीक को समझते हैं-

mRNA का मतलब है Messenger Ribonucleic Acid.
mRNA या messenger-RNA तकनीक से बने टीके में वायरस के m-आरएनए का इस्तेमाल कर शरीर में वायरस के हमले के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा की जाती है. इसमें मानव शरीर की कोशिकाओं के लिए निर्देश तय कर दिए जाते हैं कि उन्हें किस तरह के स्पाइक प्रोटीन बनाने हैं जो कि वायरस की कॉपी लगें और शरीर उनको पहचान लें.

दूसरे शब्दों में, जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है, तो mRNA टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिए प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है. इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिए, वो मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है.

वैक्सीन बीमारी के दौरान होने वाले “हमले” के खिलाफ आपकी इम्युनिटी क्षमता को बढ़ाता है. वैक्सीन दवाओं के विपरीत, किसी बीमारी का इलाज नहीं करती, बल्कि उन्हें होने से रोकती है.

जब कोई वायरस हमारे शरीर में प्रवेश करता है, तब हमारा प्रतिरक्षा तंत्र एंटीबॉडीज का निर्माण करता है जो इस वायरस से लड़ने की कोशिश करते हैं. हम बीमार हो सकते हैं या नहीं, यह बात दो चीजों से निर्धारित होती है- हमारी इम्युनिटी क्षमता और शरीर में एंटीबॉडीज कितने प्रभावी तरीके से वायरस से लड़ती है.

जब हम बीमार पड़ते हैं, तो कुछ एंटीबॉडीज जिनका निर्माण होता है वे शरीर में बने रहते हैं और हमारे स्वस्थ होने के बाद वाचडॉग की भूमिका निभाते हैं. यदि आप भविष्य में उसी वायरस के संपर्क में आते हैं तो एंटीबॉडीज इसे पहचानकर इससे मुकाबला करते हैं. प्रतिरक्षा तंत्र के इसी कार्यप्रणाली के कारण वैक्सीन काम करते हैं.

जब आप कोई टीका लेते हैं, इसमें मौजूद वायरस का कोई भी संस्करण इतना मजबूत या इतना पर्याप्त नहीं होता कि वह आपको बीमार कर दे, लेकिन यह आपके प्रतिरक्षा तंत्र के लिए इतना पर्याप्त होता है कि वह इस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज का निर्माण कर सकता है. परिणामस्वरूप, भविष्य में बिना बीमार हुए रोग के खिलाफ आपको प्रतिरक्षा हासिल होता है: जब आप वायरस के संपर्क में दुबारा आते हैं, तो आपका प्रतिरक्षा तंत्र इसे पहचान लेगा और इसका मुकाबला करेगा.

वैक्सीन का एक शुरुआती रूप चीन के वैज्ञानिकों ने 10वीं शताब्दी में खोज लिया था. 1796 में एडवर्ड जेनर ने पाया कि चेचक के हल्के संक्रमण की एक डोज़ चेचक के गंभीर संक्रमण से सुरक्षा दे रही है. उनके अध्ययन से मिले नतीजों को दो साल बाद प्रकाशित किया गया. तभी ‘वैक्सीन’ शब्द की उत्पत्ति हुई. वैक्सीन शब्द काउपॉक्स वायरस वैक्सीनिया (Vaccinia) से आया है जो गाय के लिए लैटिन शब्द Vacca से लिया गया है.

फ्रांसीसी माइक्रो बॉयोलॉजिस्ट डॉ. लुई पॉश्चर ने 6 जुलाई, 1885 में जानवरों से इंसानों में फैलने वाली वायरस जनित बीमारियों के लिए रेबीज के टीके को विकसित किया था. इस योगदान के लिए उन्हें ‘फादर ऑफ माइक्रोबॉयोलॉजी’ भी कहा जाता है.

एमआरएनए तकनीक इतनी प्रभावी क्यों है?
यह नए प्रोटीन बनाने के लिए मानव शरीर की विशाल क्षमता का उपयोग करता है. प्रत्येक शारीरिक कार्य के लिए एक प्रोटीन होता है, और आपका शरीर हर दिन उनमें से खरबों बनाता है. यदि आप किसी तरह इसे वायरस को हराने के लिए एक विशिष्ट प्रोटीन बनाने के लिए कह सकते हैं, या किसी बीमारी का इलाज कर सकते हैं, तो यह अपने आप ही ऐसा करेगा. लैब में बना mRNA (genetically engineered mRNA) हमारी कोशिकाओं में प्रोटीन फैक्ट्री को निर्देश भेजना संभव बनाता है.

इस वैक्सीन का सबसे बड़ा फायदा ये है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले ज्यादा जल्दी वैक्सीन बन सकती है. इससे शरीर की इम्युनिटी भी मजबूत होती है. ऐसा पहली बार है जब mRNA टेक्नोलॉजी पर आधारित वैक्सीन दुनिया में बन रही है.

दूसरे फायदे
mRNA टीके पारंपरिक टीकों की तुलना में बेहतर प्रतिरक्षा उत्पन्न कर सकते हैं.
ये सुरक्षित तथा गैर संक्रामक होते हैं.
इबोला, जीका वायरस और इन्फ्लूएंजा जैसे अन्य संक्रामक बीमारियों के लिए पहले से ही एमआरएनए टीकों का परीक्षण किया जा रहा है.

एमआरएनए वैक्सीन तकनीक का कैंसर के इलाज के लिए भी परीक्षण किया जा रहा है. कैंसर कोशिकाएं प्रोटीन के कुछ खास टुकड़े बनाती हैं जो स्वस्थ कोशिकाओं पर नहीं पाए जाते हैं. वैज्ञानिक ऐसा टीका बनाने की कोशिश कर रहे हैं जो उन टुकड़ों का उत्पादन करती है, और कैंसर कोशिकाओं पर हमला करने के लिए प्रतिरक्षा प्रणाली को तैयार कर सकती है. हाल ही में वैज्ञानिकों को इसकी मदद से मेलेनोमा (melanoma) के उपचार में मदद मिली थी. Melanoma ऐसा ट्यूमर है जो त्वचा कैंसर को जन्म देता है. editor@ictpost.com

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